नहीं रही कलाई बेहद गंदे हो गए हैं बर्तन एक ठहराव-सा आ गया है असामान्य सामान्य-सी चीजों में इन दिनों इन दिनों इन बर्तनों को अब उड़ा ही देना चाहिए तत्काल लगाकर कोई विस्फोटक।
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ